Thursday, September 12, 2013

दौड़

सूरज की
प्रथम किरण के साथ ही
हो जाती है प्रारंभ
दौड़,
चाहे आप चीता हों
अथवा हिरन।

चीता दौड़ता है
इस आशय से
कि उसको
मरना पड़ेगा भूखा
यदि नहीं मिला
उसको उसका शिकार
उसको दौड़ना ही पड़ेगा,
दौड़ते रहना पड़ेगा
अन्यथा मार देगी उसको
भूख।

और हिरन
दौड़ता है
इस आशय से
कि यदि नहीं दौड़ा वह
तो बन जायेगा शिकार
पीछे आ रहे चीते का
मार देगी उसको
चीते की भूख।

चीता या हिरन
सूरज की
प्रथम किरण के साथ ही
हो जाती है प्रारंभ
दौड़।

हम सबको दौड़ना पड़ता है
दौड़ना पड़ेगा
दौड़ना चाहिए
अपनी भूख मिटाने के लिए
और
इसलिए भी
कि कहीं हम
किसी दूसरे की भूख का
शिकार न हो जाएँ,

चाहे हम
स्वयं दौड़ें
अथवा
दौड़ाये जाएँ।

Wednesday, September 4, 2013

रिश्ते

81

सुलगती आग आँखों में 
समझता क्यों नहीं कोई
उलझती डोर रिश्ते की 
समझता क्यों नहीं कोई
उलझने को सुलझते 
देखने मे हर्ष होता है  
बस इतना सोचता हूँ 
यह समझता क्यों नहीं कोई
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80 - ज्ञान 2 
79- समय  
76 - अलंकार
75 - कारक
74 - मोती
73 - क्यों 
72 - रिश्ते 2 
71 - मुस्कराना 
70 - सवेरा 
68, 69 - होली 2013
67 - रिश्ते 
66 - आस 
65 - गन्तव्य
64 - मैं इतना सोच सकता हूँ 15 
63 - मैं इतना सोच सकता हूँ 14 
61, 62 - मैं इतना सोच सकता हूँ 13 
60 - मैं इतना सोच सकता हूँ 12    
57 से 59 तक  - मैं इतना सोच सकता हूँ 11
54 से 56 तक  - माँ तुझे सलाम
51 से 53 तक  - मैं इतना सोच सकता हूँ 10
48 से 50 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 9 
47 - राजनीति 
44 से 46 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 8 
38 से 43 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 7 
28 से 37 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 6 
25 से 27 तक  - मैं इतना सोच सकता हूँ 5 
24 - नींद 
23 - विविधता 
20 से 22 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 4 
19 - विवाह 
18 - संतुष्टि 
17 - आवाज 
12 से 16 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 3 
7 से 11 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 2
1 से 6 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ  1