Thursday, November 12, 2015

बदलाव

बदल जाती है भाषा
बदल जाती है आशा
बदलती हैं परिभाषाएं
बदलती हैं अभिलाषाएं
बदल जाते हैं रूप व स्वरुप
बदलता है भाव व स्वभाव
बदल जाते हैं सम्बन्ध व अनुबंध
बदल जाते हैं कारण व निवारण
बदल जाते हैं विधान व परिधान

बदलते ही स्थान
बदलते ही भूगोल

नहीं बदलता है तो बस 
इतिहास
वर्तमान से परे हुआ इतिहास
नहीं बदलता है
भूत का अनुभव
नहीं बदलते हैं
भूत के मूल्य
भूत के सम्बन्ध

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11 अगस्त 2015/मेट्रो ट्रेन/दिल्ली

बोझ

समाप्त कर लेता हूँ
स्वयं को
और 
ताउम्र
आत्मसमर्पण भाव में
जीवित रहता हूँ,
भूलता जाता हूँ
स्वयं को -
न स्वयं का
न किसी और का.

सहता हूँ पीड़ा
इसीलिए कहता हूँ
आत्मसमर्पण के बाद
मैं कर लेता हूँ 
आत्महत्या
और 
ताउम्र ढोता रहता हूँ
बोझ
एक लाश का.

[धन्यवाद सुनील जी ... आपके द्वारा फेसबुक पर लिखी पंक्तियों ने मुझे बाध्य किया इन पंक्तियों को लिखने के लिए]