Tuesday, March 31, 2015

महक

यह चिड़ियों की चहक़
नूतन दिवस संगीत देती है
ये फूलों की महक
निर्मल नई सी प्रीत देती है
न जाने क्यों ये पक्षी
फूल मानव भोज होते हैं
बस इतना सोचता हूँ
ये महक ही जीत देती है
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Saturday, March 7, 2015

दस्तूर

यह क्या दस्तूर दुनिया का
धनी धनवान होते हैं
गरीबी आँख आंसूं पी रहे
शमशान होते हैं
अजब सा द्वन्द रेखाओं में
बंटकर वार करता है
मैं इतना सोचता हूँ
क्यों अगर भगवान् होते हैं
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