Friday, September 7, 2012

शिक्षा का व्यापार

नाई की दुकान पर
बिक रहा था सामान
माध्यम था रेडियो
एक निजी प्रबन्ध संस्थान के
लुभावने व भ्रामक
विज्ञापन द्वारा
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में
छह अंकीय आय का
उदाहरण
प्रलोभन

आश्वासन

व्यापार की शिक्षा
या
शिक्षा का व्यापार

एक प्रश्न
कैसा होगा शिक्षा का स्वरुप
यदि शिक्षा होगी व्यापार

निवेश पर अधिक प्रत्याय
और अधिक प्रत्याय
लाभ
और अधिक लाभ

इन संस्थानों मे
शिक्षित होते छात्र-छात्राएं
उनकी जगह (सीट)  कहलाती है
माल, सामान या स्कन्ध
और
व्यापारी बेचते हैं
सामान
बाज़ार की भाषा में
बिकने वाला
सभी कुछ होता है
सामान या माल

बाज़ार में
दर्जी  की दुकान में
मोची की दुकान मे
परचून की दुकान मे
या फिर
विशालकाय 'माल' में
चलते-फिरते
बस में कार में
ट्रक में ट्रेन में
सब जगह
बाज़ार मे
नाई की दुकान मे
बिक रहा है सामान

यहाँ सरस्वती की
पूजा नहीं होती
यहाँ पूजे जाते हैं
लक्ष्मी व गणेश

कई संस्थानों का माल
नहीं रहा है बिक
उनके बड़े-बड़े
गोदामों में
सड़ रहा है
स्कन्ध
आजकल

अर्थशास्त्रीय सिद्धांतों का
पालन करते बाज़ार
मांग-पूर्ति का सिद्धांत
सीमांत उपयोगिता का सिद्धांत
प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों का नियम
बाजारू मूल्य
(मूल्यों का बाज़ार)

प्रतिस्पर्धा

मुझे ज्ञात है
जिस प्रकार
हलवाई की दुकान से
बिल्डिगों के व्यापार तक
तम्बाखू की खेती से
बीड़ियों व
पान मसाले के व्यापार तक
व्यापारी करते हैं निवेश
स्वयं या साझे में
उसी प्रकार
उतर आये हैं
वे
शिक्षा के व्यापार में
उनको बेचना है
सामान
कैसे भी
किसी को भी
येन केन प्रकारेण

छूट पर
एक के साथ एक मुफ्त
पच्चीस तीस चालीस
या पचास प्रतिशत
अधिक
उसी कीमत पर

बटोरे जाते हैं ग्राहक
कस्वे से
गाँव से
झूठे प्रलोभनों द्वारा

फिर भी
बहुतों के यहाँ
माल बेकार पड़ा है
सड  रहा है
खरीदारों की प्रतीक्षा में
मैं सोच सकता हूँ
व्यापारियों की पीड़ा
निवेश पर प्रत्याय की आशा
शायद इसीलिए
आज
बिक रहा है सामान
नाई की दुकान मे
बीड़ी पान की दुकान में

सुना है
आजकल
आयातित शिक्षा का बाज़ार
गर्म है
एक लोकल डिग्री के साथ
विदेशी डिग्री फ्री

एक प्रश्न
क्या कल यहाँ खुल जाएँगी
राईस मिलें
सुना है
इस बार धान की फसल अच्छी है

क्या कल यहाँ खुल जायेंगे
पांच सात नौ या ग्यारह
सितारा होटल
सुना है
आने वाले वर्षों मे
पर्यटन उद्योग का
बोलबाला होने वाला है
सरकारी सब्सिडी भी
बढने वाली  है

क्या यहाँ खुल जायेंगे
विशालकाय 'माल'
सुना है
फुटकर व्यापार में
विदेशी निवेश आने वाला है

क्या यहाँ खुल जायेंगे
बड़े-बड़े अस्पताल
सुना है
कीटनाशकों के निरंतर प्रयोग से
उत्पन्न होंगी
नई-नई बीमारियाँ

पैदा होंगे
नए-नए अवसर
और
इन सभी अवसरों को
परिणत किया जायेगा
पूँजी में

फ़िलहाल
नाई की दुकान में
बिक रहा है सामान

मुझे लगता है
शीघ्र ही
होंगी बंद
ये दुकाने
यदि नहीं बदलीं
आशाएं
आकांक्षाएं

परिभाषाएं।

(29.7.12 - लखनऊ - आज सुबह अपने छोटे  भाई के साथ नाई की दुकान गया, वहां FM Radio City पर एक प्रबंधन संस्थान  का विज्ञापन प्रसारित हो रहा था, उसको सुनकर इस कविता को लिखने की प्रेरणा मिली....27 जुलाई के हिंदुस्तान समाचार पत्र के लखनऊ संस्करण में एक खबर थी की इस शहर के 30 प्रबंध संस्थानों को इस वर्ष कोई छात्र नहीं मिला)

<29.7.12 in train Lucknow to Guwahati... 9 PM>

9 comments:

  1. ्ताज़ा स्थिति का आकलन करती सटीक अभिव्यक्ति।

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  2. शिक्षा जो कि आज सचमुच व्यापार मे बदलती जा रही है, बहुत ही सुंदर तरीके से आपने उसे व्यक्त किया है....

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  3. चिंताजनक स्थिति

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  4. आज की व्यवस्था का सटीक चित्र प्रस्तुत किया है ...

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  5. behtreen vyangyatamak rachna ke liye badhai

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  6. आजकल शिक्षा और राजनीति ..दो ही तो निवेश के क्षेत्र रह गए हैं...पूँजी लगाओ ....४ का ४०० पाओ......इसी में सब के पौ बारह है ...क्या कोचिंग संसथान ...क्या कोलेजों की स्थापना करने वाले ...सबका ही बोलबाला है

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  7. बाजारवाद का अंत तो कभी होगा ...पर शायद हमारी सहनशक्ति कुछ ज्यादा ही है

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  8. B'ful and reality in nice expressions

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