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मैं खिड़की खोलकर बैठा
किसी की राह जोहे था
वो रोशन-दान पर
पर्दा लगाकर
ज्ञान भोगे था
तभी दस्तक हुई
दरवाजे पर
मेरे पड़ोसी के
बस इतना सोचता था
क्यों अंधेरा भार ढोहे था
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79- समय
76 - अलंकार
75 - कारक
74 - मोती
73 - क्यों
72 - रिश्ते 2
71 - मुस्कराना
70 - सवेरा
68, 69 - होली 2013
67 - रिश्ते
66 - आस
65 - गन्तव्य
64 - मैं इतना सोच सकता हूँ 15
63 - मैं इतना सोच सकता हूँ 14
61, 62 - मैं इतना सोच सकता हूँ 13
60 - मैं इतना सोच सकता हूँ 12
57 से 59 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 11
54 से 56 तक - माँ तुझे सलाम
51 से 53 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 10
48 से 50 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 9
47 - राजनीति
44 से 46 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 8
38 से 43 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 7
28 से 37 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 6
25 से 27 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 5
24 - नींद
23 - विविधता
20 से 22 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 4
19 - विवाह
18 - संतुष्टि
17 - आवाज
12 से 16 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 3
7 से 11 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 2
1 से 6 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 1
75 - कारक
74 - मोती
73 - क्यों
72 - रिश्ते 2
71 - मुस्कराना
70 - सवेरा
68, 69 - होली 2013
67 - रिश्ते
66 - आस
65 - गन्तव्य
64 - मैं इतना सोच सकता हूँ 15
63 - मैं इतना सोच सकता हूँ 14
61, 62 - मैं इतना सोच सकता हूँ 13
60 - मैं इतना सोच सकता हूँ 12
57 से 59 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 11
54 से 56 तक - माँ तुझे सलाम
51 से 53 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 10
48 से 50 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 9
47 - राजनीति
44 से 46 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 8
38 से 43 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 7
28 से 37 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 6
25 से 27 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 5
24 - नींद
23 - विविधता
20 से 22 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 4
19 - विवाह
18 - संतुष्टि
17 - आवाज
12 से 16 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 3
7 से 11 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 2
1 से 6 तक - मैं इतना सोच सकता हूँ 1
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