Sunday, October 13, 2013

हाथ

हाथ की उँगलियाँ बताती हैं
साथ रहना बहार करता है
इक हथेली है बाँध लेती है 
रक्त गिरकर दरार करता है
हाथ मुट्ठी है हस्त-रेखा है 
ज्ञान मिट्टी है पस्त देखा है
सोच सकता हूँ बस यही अब मैं 
हाथ ताली से वार करता है
===================

No comments:

Post a Comment