Monday, April 7, 2014

रिश्ते - 1

1

रिश्ते
द्वीप समान
सहते हैं
न जाने कितने ही थपेड़े
नदियों के
फिर भी खड़े रहते हैं
अटूट, अद्रश्य, अडिग
कितनी ही आयें
सुनामी या कटरीना

यही है
इन रिश्तों की सुन्दरता
किसी भी विवशता से परे
निश्छल
फेसबुकिया रिश्तों से बहुत अलग
प्रवाह की चिंता किये बिना

आखिर 
जीवन एक रिश्ता ही तो है
मनुष्य 
व 
प्रकृति 
के मध्य

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