Saturday, April 24, 2021

रिश्ते

दरवाज़ों से
प्रवेश करते हैं रिश्ते
चौखटें लांघते हैं
खिड़कियों से झांकते हैं
रोशनदानों को निहारते हैं
चहारदीवारी पर छलांग लगाते हैं
छतों पर घूमते हैं
दुछत्तियों में छिपते हैं
कमरों में भटकते हैं

रिश्ते परदे हटाते हैं और डालते भी हैं
करवटें बदलते हैं
दरारों से झांकते हैं
कई बार कोनों में दुबकते भी हैं
आँगन में छाँव तलाशते हैं
परछाई से साथ चलते हैं
 
दीवारों पर टांग दिए जाते हैं
बड़े क़रीने से
फूलमालाओं के साथ
रिश्ते चलते रहते हैं
यादों के साथ
रुकते तो हम हैं.

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