Sunday, June 20, 2010

प्रजातंत्र की आग लगी है 
हर कोने हर डेरे में
देख रौशनी चौंक रहा है 
कोई आज अंधेरे में
<विजय कुमार श्रोत्रिय>
3 May 1990...Bareilly...UP

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

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