चौड़ी सड़कें
लम्बे-चौड़े वाहन
अतिरेक उपाधियाँ
ऊँचे पद
पांच अंकीय आय
बड़ा कूड़ादान
ऊँची मीनारें
ऊँचे टावर
ऊँचे भाव
ऊँची चिमनी
ऊँचा धुंआ
छोटे दिमाग
छोटे रिश्ते
छोटे रिश्ते
छोटे परिवार
बड़े मकान
छोटे घर.
बड़े मकान
छोटे घर.
विश्व परिवार दिवस की सर्थकता को सिद्ध करती यह कविता कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाती है
ReplyDeleteछोटे रिश्ते
छोटा परिवार
छोटा दिमाग
विचारणीय रचना ...
ReplyDelete"छोटे दिमाग
ReplyDeleteछोटे रिश्ते
छोटे परिवार
बड़े मकान
छोटे घर."... बेहद संवेदनशील कविता .. छोटे शब्दों में गहन अभिव्यक्ति सर !
नोट: आप दिल्ली आये.. और मेरा दुर्भाग्य देखिये मिल ना सका मैं आपसे... पत्नी उन दिनों अस्वस्थ चल रही थी... और बेटे को भी चिक्केन पोक्स हो गया था.. जब हमें मिलना था शाम को.. मैं पत्नी को लेकर अस्पताल में था और इस स्थिति में भी नहीं था कि ठीक से बात कर सकू... आपसे मिलना रह गया है...
अंतर्विरोध ...
ReplyDeleteसंवेदनशील और शायद यथार्थ के बहुत करीब
चंद पंक्तियों में गूढ़ भाव
ReplyDeleteसर, यह कविता बहुत कुछ सोचनें को मजबूर करती है। मेरी नजर में एक अच्छी कविता कि यही पहचान है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दचित्र रचते हैं आप तो!
ReplyDeleteअब आता रहूँगा!
कम शब्दों में प्रभावशाली बात!