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मुझे उपमा सुहाती है
उन्हें अनुप्रास भाता है
उन्हें अनुप्रास भाता है
मगर क्यों श्लेष कर अतिश्योक्ति
यह उपहास लाता है
यह उपहास लाता है
अलंकारों की दुनिया में
नहीं रूपक नहीं दीपक
नहीं रूपक नहीं दीपक
मैं इतना सोच सकता हूँ
विधा व्यंजन सजाता है
विधा व्यंजन सजाता है
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