Friday, February 14, 2014

आस


सो गयी संसद भुलाकर 
कृत्य काली रात के 
जग गई है आस जन मे 
जन्म नव जज्वात के 
बर्ष बीता रात भागी 
धुंध छटकर बात जागी 
सोच सकता हूँ मैं इतना 
शह दिखाकर मात के

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