मेरी कविताएं
Tuesday, March 31, 2015
महक
यह चिड़ियों की चहक़
नूतन दिवस संगीत देती है
ये फूलों की महक
निर्मल नई सी प्रीत देती है
न जाने क्यों ये पक्षी
फूल मानव भोज होते हैं
बस इतना सोचता हूँ
ये महक ही जीत देती है
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