Monday, April 13, 2015

दिशा

मैं घर के द्वार पर बैठा
हवा से बात करता हूँ
लगाकर नाक पत्ती फूल
खुशबू साथ पढता हूँ
ये हिलते पेड़ उडते पक्षी
बहता जल खुला अम्बर
मैं इतना सोचता हूँ
क्यों दिशा की बात करता हूँ 
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