मेरी कविताएं
Monday, May 4, 2015
चट्टान
मुझे चट्टान भाती है
अजब दर्शन सुझाती है
वह पत्थर घास में लिपटी
संवरकर मुस्कराती है
सधे सिद्धांत जीवन के
सभी चट्टान होते हैं
मैं इतना सोच सकता हूँ
नहीं वो सर झुकाती है
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