बहुत कुछ छोड़ आए हैं
मायके में
हम सब
अच्छी सी
दिखने वाली दुनिया
की तलाश में
क्या बचपन था
रोटी पर घी था
दूध में चीनी थी
आम की खुश्बू
कितनी भीनी थी
अब
कितना कुछ फीका है
जिंदगी जीने का
यही सलीका है
यह ससुराल है
वह मायका
मायके में
हम सब
अच्छी सी
दिखने वाली दुनिया
की तलाश में
क्या बचपन था
रोटी पर घी था
दूध में चीनी थी
आम की खुश्बू
कितनी भीनी थी
अब
कितना कुछ फीका है
जिंदगी जीने का
यही सलीका है
यह ससुराल है
वह मायका
परिवेश बदल गया .. पर स्वाद एक है एक समय का ...
ReplyDeleteगहि रचना...
धन्यवाद
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