Friday, March 27, 2020

कविता और कहानी - 2

अब नया संचार कविता बन कहानी कह रहा है
भूत की पीड़ा भुलाकर स्वच्छ पानी बह रहा है
अब नहीं विश्राम क्षण भर श्रम नया अध्याय लिखता
मृदुल भाषा सरल सब जन सजग संबल कह रहा है


जब किसी का रास्ता रोका गया है गालियों से
जब कभी बांटा गया है घर चुभी सी जालियों से
मिट गये रिश्ते मिटी विश्वास की संभावनाएं
जब कभी भी खुशबुओं को दूर रखा मालियों से


कौन सी कविता बिना श्रृंगार के सजती नहीं है
कौन सी है धुन बिना संगीत जो रचती नहीं है
कौन सा वह गीत जिसमे दर्द का दर्शन नहीं है
कौन है वह कवि जिसे संवेदना कहती नहीं है


तालियों का ज्वर कभी भी उम्र भर रहता नहीं है
ज्यों पके फल से लदा हर पेड़ कुछ कहता नहीं है
बोलना लिखना समझना ध्यान से चलना सिखाना
ज्यों लिखा हर शब्द अपनी उम्र से थकता नहीं है

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कविता और कहानी - 1

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