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ये फागुन की हवाएँ कह रहीं हैं देख
मुझको सुन
ये खिलते फूल सरगम साज मे है
ख़ुशबुओं की धुन
कहीं होली के रंगों से कोई आँचल
बचा है क्या
बस इतना सोचता हूँ अवगुणों मे भी
कहीं है गुण
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सभी रंग जिस्म पर चढ़कर सफेदी छोड़
देते हैं
कि जैसे पूर्वजो के पिंड हथेली
छोड़ देते है
ये जीवन रंग जमकर इंद्रधनुषों को
सजाते हैं
बस इतना सोच सकता हूँ सभी को
जोड़ देते हैं
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happy holi...आपको रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
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