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ओस की बूँदें कहानी लिख रही हैं प्यास पर
ज्यों नहाकर धूप की किरने बुलाएँ घास पर
आँख की बारिश ह्रदय को शुष्क करती जा रही है
सोच सकता हूँ मैं इतना चल रहा हूँ आस पर
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सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसुन्दर