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मैं चलना चाहता हूँ
इस धरा पर शूल में बंधकर
मैं चलना चाहता हूँ
इस धरा पर शूल में बंधकर
जो उस कल को सुधारे
सीप बन संघर्ष जीवन भर
मैं इस गहरे समंदर मे
सीप बन संघर्ष जीवन भर
मैं इस गहरे समंदर मे
कोई मोती तो पाउंगा
मैं इतना सोच सकता हूँ
नदी में प्यार की बहकर
नदी में प्यार की बहकर
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