मेरी कविताएं
Friday, August 22, 2014
मैं इतना सोच सकता हूँ
हम अपनी बाजुओं के जोर
को अब आजमाएंगे
बहुत प्रतीक्षा करने में
आंसू सूख जायेंगे
अजब खेमो में बंटकर
आप हम क्यों दूर होते हैं
बस इतना सोच सकता हूँ
उन्हे उनके रुलायेंगे
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