मेरी कविताएं
Friday, August 29, 2014
सपना
मैं ढोना चाहता हूँ बोझ
सपनों का इन कन्धों पर
किसी को कष्ट में देखूं
तो खोलूं बाहें बन्दों पर
किसी की ईर्ष्या को
प्रेम से जीतूँ यही सपना
बस इतना सोच सकता हूँ
लगा विराम धंधों पर
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