मेरी कविताएं
Wednesday, September 24, 2014
यात्रा
मैं चलकर सोचता हूँ
सोचकर चलता नहीं हूँ अब
मेरी यात्रा में शामिल
मित्र दुश्मन भाई बंधु सब
मेरी भाषा संभल जाए
मेरा हर पग संभल जाए
बस इतना सोचता हूँ
अब चलूँ सोचूं विचारू सब
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