Saturday, July 24, 2010

फूल क्यों हम पर वार करते हैं
कांटे सब कुछ बहार करते हैं
रात के बाद दिन नहीं आता
क्योंकि सपने प्रहार करते हैं.
<विजय कुमार श्रोत्रिय>
1 February 2007...Bareilly....UP

4 comments: