Friday, July 30, 2010

यकीं होता नहीं, तेरे यार होने का
वो यार क्या जो, वक़्त पर दगा ना दे

विजय कुमार श्रोत्रिय

3 comments:

  1. क्या व्यंग्य है!!
    वो यार क्या जो, वक़्त पर दगा ना दे

    ReplyDelete