Thursday, December 1, 2011

सांस

1.
आज मैं सांस ले सका हूँ दोस्त
जिंदगी सांस मे नहीं होती
सांस लेकर नहीं मैं जिन्दा हूँ
काश ये सांस ही नहीं होती.

1st Dec 2011, 6 pm, shillong - L 57...


1 comment:

  1. सांस होते हुए भी जिंदा ना होना एक आधुनिक युग की त्रासदी है... बढ़िया कविता..

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