Thursday, June 6, 2013

जैसी चाह वैसी राह

हम वह सोचते हैं
जो सोचना चाहते हैं
हम वह पड़ते हैं
जो पड़ना चाहते हैं
हम वह खाते हैं
जो खाना चाहते हैं
हम वह पहनते हैं
जो पहनना चाहते हैं

क्या सोचना
क्या पड़ना
क्या खाना
क्या पहनना
और न जाने ऐसी
कितनी ही क्रियाएं
व कारक
निर्भर करते हैं
इस पर
आखिर चाहते क्या हैं
हम और आप

प्रयास आवश्यक है
जानने का यह
आखिर चाहते क्या हैं हम
जानिये - प्रयोग कीजिये 
स्वयं पर
अपने जानने के हक का
जानिये
आखिर चाहते क्या हैं आप
चाहिए अच्छा
होगा सब अच्छा

एक विडम्बना
आखिर क्यों
अक्सर
वह नहीं कर पाते हैं
जो करना चाहते हैं हम

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