Monday, October 24, 2011

रैपर

आज सुबह
विश्वविद्यालय के
प्रथम व तृतीय द्वार के मध्य
भिन्न भिन्न दूरियों पर
देखे पड़े हुए
रैपर
चिप्स-नमकीन के पैकेटों के
देखीं पड़ी हुई
शराब की खाली बोतलें
देखे पड़े हुए
प्लास्टिक के खाली
लुदके हुए गिलास
कागज की प्लेटें
(प्रयोग की हुई)
देखे पड़े हुए
रैपर
सिगरेट के पैकिटों के
माचिस की डिब्बियों के

यहाँ
अवश्य देखा होगा
चिंगारियों ने
स्वयं को
आग मे बदलते
और आग को
राख में

यहाँ
अवश्य हुए लगते हैं
जीत के जश्न
या
मातम
चलते चलते
या
रूककर सड़क के किनारे
बैठकर
इन मुंडेरों ने
अवश्य सहारा दिया होगा
लडखडाते कदमो को
प्रथम व तृतीय द्वार के मध्य

क्या यहीं
की थी
पोरस पर
चढाई
सिकंदर ने

हार के बाद
जब पोरस से पूछा था
सिकंदर ने
'क्या सुलूक किया जाये
आपके साथ'
'वही जो एक राजा को
करना चाहिए
राजा के साथ'

क्या यहीं से 
सिकंदर की सेनाएं
वापस कर दी गयी होंगी.

प्रथम व तृतीय द्वार के मध्य
सभी निर्णय लिए गए होंगे

ये सब
पड़े हुए रैपर
अपनी व्यथा कहते हैं
कविता-कहानी
को जन्म देते हैं
ज्यादा कुछ नहीं
जानता हूँ मैं
परन्तु
इतना अवश्य
ज्ञात है मुझे
यहाँ बहुतों की
हुई है
मौत.
(और बहुतों के रैपर
यहाँ अभी भी पडे हुए हैं).

(11.10.11, 6:20 AM, Shillong, NEHU Campus - after the morning walk)

(विश्वविद्यालय मे पिछले लगभग दो वर्षों से कुछ मुद्दों को लेकर गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी, विश्वविद्यालय का प्रशासनिक कार्यालय प्रथम व तृतीय द्वार के मध्य है, जहाँ सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं, कर्मचारियों व अध्यापकों ने इसी सड़क पर कई बार अनशन व रैली निकाली.  अब वो सब गतिरोध लगभग समाप्त सा दीखता है, परन्तु मुझे उन दिनों का स्मरण प्रायः होता है सो इस कविता का जन्म उसी अनुभूति की अभिव्यक्ति है)

Thursday, October 13, 2011

मध्य और माध्यम


खड़े होकर
जब मैंने देखा
मुझे दिखाई दिए
कुछ ऊपर
कुछ नीचे
मेरा मध्य
उनके मध्य से भिन्न था

अच्छाई और बुराई
पाप और पुण्य
दुःख और सुख
क्लेश और शांति
इनका मध्य क्या है

कुर्सी बनाने वाला बढई
कुर्सी पर बैठने वाला शासक
पानी पिलाने वाला पियाऊ
सबको पानी पिलाने वाला शासक
मजदूर और मालिक
धनी और गरीब
किसान और उद्धमी
इनका मध्य क्या है

मुझे मात्र ज्ञात है
मध्य
सिर और पैर का 
जिसके लिए 
हम सब जी रहे हैं
युद्ध कर रहे हैं 
पाल रहें हैं
आशाएं
अभिलाषाएं

काश 
यह मध्य ना होता  
मेरा माध्यम भी
ना होता
ना होता
कोई युद्ध
संघर्ष
ना होती
कोई अभिलाषा.

(VK Shrotryia, 9:40 AM, 28 Sept 2011, Shillong)

Wednesday, October 12, 2011

मैं इतना सोच सकता हूँ

१.
मैं जितना सोच सकता हूँ, वहीँ तक सिर उठाता हूँ
मगर जब आँख दबती है, सभी कुछ भूल जाता हूँ
तेरा चेहरा मेरा दर्पण, तेरा दर्पण मेरा चेहरा
मैं इतना सोच सकता हूँ, तभी तो सर झुकाता हूँ.
२.
मेरे घर लोग आते हैं, मुझे सर पर चडाते हैं
मगर जब आँख दबती है, मुझे सपने सताते हैं
तेरा कहना मेरा सुनना, तेरा सुनना मेरा कहना
मैं इतना सोच सकता हूँ, मुझे मेरे सताते हैं.
३.
मुझे क्यों क्षोभ होता है, उन्हे क्यों लोभ होता है
मगर संयम, नियम, संशय लघु प्रयोग होता है
तेरी बातें मेरी आंखें, तेरी आंखें मेरी बातें 
मैं इतना सोच सकता हूँ, नहीं संयोग होता है.
४.
मेरा हर रोम शोभित है, तेरी हर सांस संशित है
मगर वो कृत्य और वो वाण, शब्दशः सुरक्षित है
तेरा कहना मेरा सुनना, तेरा हँसना मेरा सहना 
मैं इतना सोच सकता हूँ, सभी उस ओर संचित है.
५.
मेरी क्यों द्रष्टि विकसित है, मुझे अब बोध होता है
अगर सबका सही हो भूत, कभी ना क्रोध होता है
मेरा कहना, मेरा जगना, मेरा सपना, मेरा अपना
मैं इतना सोच सकता हूँ, जहाँ प्रबोध होता है. 
६.
मुझे हर जीत का कारण, नया प्रतीत होता है
मगर जब हार होती है, नहीं कोई मीत होता है
मेरी श्रद्धा, मेरा आश्रय, मेरी करुणा, मेरा आशय
मैं इतना सोच सकता हूँ, मधुर संगीत होता है.

5-6 oct 2011, navmi/dashmi, shillong

Thursday, October 6, 2011

जीवन दर्शन


मेरी पीड़ा, मेरे आंसू, मेरा जीवन, मेरा अनुभव
नया है तू, नए हैं शब्द, नए कपडे, नए करतब
नयी काया, नया चश्मा, नयी वाणी, नया सपना
नयी उपमा, नई भाषा, नई संज्ञा, नया जपना

सभी सन्दर्भ अच्छे हैं, सभी सम्बन्ध सुद्रढ़ हैं
मेरा तेरा, तेरा मेरा, यही संताप की जड़ हैं 
वही हम सब, वही गीता, न कुछ लाये, न कुछ जाये
सफल जीवन हमारा हो, समझ यह सूत्र आ जाये

Tuesday, October 4, 2011

My Lab

No fire extinguisher
No air curtain
No container for hazardous waste
Absolutely
No uninterrupted power supply
No shower for eyes
No fume hoods
No bio-safety cabinets.

I am at ease
With interrupted power
With fire
With polluted air
With hazardous waste
With all chemicals.

These are welcome things
In my lab.

I observe
Actions - reactions
Movements - comments
Smiles - eyetwists
Proximities - distances
Commands - demands
Correlations - connections
Anonymities - niceties
Calculations
And
What not.

This is a perfect lab for me
As I teach
HR,
Strategy
And
Organizational Behaviour.

I just need
Free expressions of thoughts.

This is just perfect setting
And
We all are
Perfect samples.

(4th Sept 2011, Shillong, 5:20 PM, L-57)

Saturday, October 1, 2011

उन्नीसवां दीक्षांत समारोह 2011

देखकर अच्छा लगा
चूना लगाते लोग
सड़क पर पेबंद लगाते
कर्मठ वेतनभोगी
जंगल साफ़ करते
कर्मचारी
ताल से खरपतवार निकालते
तदर्थ मजदूर
अधिकारियों व
कर्मचारियों द्वारा
प्रदर्शित की जाने वाली
व्यस्तता

अचानक
वाहनों की बढती गति
(कूड़ा उठाने वाले वाहन की भी)
विश्वविद्यालय मे
प्रकाश
स्वच्छता
गति
हर ओर
अतिथिदेवो भव
को चरितार्थ
करती गतिविधियाँ
अधिक उस ओर 
जहाँ से होकर
गुजरना है
अतिथि को
उन्नीसवां दीक्षांत समारोह है
विश्वविद्यालय रुपी
दुल्हन का
कल
वैसे इसकी उम्र
पार कर रही है
अडतीस को 

मैं सोचता हूँ
इस ओर अतिथि
प्रायः क्यों नहीं आते
क्यों नहीं होते
इस प्रकार के समारोह
प्रायः  
यहाँ की सड़कें, जंगल, भवन
साफ़ नहीं दिखते
चूना लगाने वालों के
होते हुए भी
प्रायः
===
(3 pm, NEHU Shillong, 29th Sept 2011 - Tomorrow is NEHU's 19th Convocation.  The vice president of India, Shri M Hamid Ansari is going to deliver convocation address)