Thursday, May 30, 2013

स्वाद

खाना चाहते हैं मीठा
खाते हैं मीठा
खाना चाहते हैं नमकीन
खाते हैं नमकीन
खाना चाहते हैं खट्टा
खाते हैं खट्टा

हम चुनते हैं स्वाद
जिव्याह अनुसार
अनुभव अनुसार
स्वादानुसार

स्वाद से परे होती है
दवाई
उसका चुनाव होता है
रोगानुसार
व रोगीनुसार

आखिर चाहते क्या हैं आप
स्वाद लेना
या
रोग को मिटाना

चुनाव का अधिकार
कैसे हो सकता है
किसी और का
चुनिए स्वयं
स्वादानुसार
रोगानुसार
इच्छानुसार

23.11.12: 10:50 AM, Shillong

Tuesday, May 21, 2013

अलंकार

76

मुझे उपमा सुहाती है 
उन्हें अनुप्रास भाता है
मगर क्यों श्लेष कर अतिश्योक्ति 
यह उपहास लाता है
अलंकारों की दुनिया में 
नहीं रूपक नहीं दीपक
मैं इतना सोच सकता हूँ 
विधा व्यंजन सजाता है

========================

Thursday, May 9, 2013

कारक


75 

मैं संज्ञा को बदलते
 देखता हूँ ज्यों क्रिया में
करण से अधिकरण में व्यस्त  
कारक प्रक्रिया में
सकर्मक धातु करता को 
लगाकर भूत मे देखो  
बस इतना सोचता हूँ 
'का की के' जिया में
--------------------------

Thursday, May 2, 2013

प्रतिस्पर्धा व बाज़ार

उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद क्यों
उसकी गाड़ी मेरी गाड़ी से बड़ी क्यों
उसकी बिल्डिंग मेरी बिल्डिंग से ऊँची क्यों
इस प्रतिस्पर्धात्मक
सामाजिक वातावरण ने
कर दिया है
वह सब कुछ
सार्थक

वास्तविक
बना दिया है
उसको
सामयिक
जिसकी परिकल्पना
कार्ल मार्क्स ने की थी

जिसको उसने बताया था
अत्यंत ही घातक
सामाजिक व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में

प्रतिस्पर्धा

उसमे जीतने के लिए
प्रतिस्पर्धात्मक रणनीति
किसी प्रकार
जीतने की होड़
राजनीति मे
व्यवसाय मे
आम परिवारों में
रिचर्ड ब्रेन्सन से विजय माल्या तक
लक्ष्मी मित्तल से मुकेश अम्बानी तक
सबसे पहले समाचार
पहुचाने वाले
मीडिया चैनलों में
‘इसको लगा डाला तो लाइफ झिंगालाला’
का प्रचार करते विज्ञापनों के मध्य

पूँजीवाद के
पतन की ओर जाते
देखते हुए भी
बाजार के वर्चस्व ने
संभवतः
हम सभी को
कर दिया है
अँधा
अभी भी हम कह रहे हैं
उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद क्यों
हमको अच्छे लगने लगे हैं दाग
आखिर कब तक
कब तक
हम पूँछते रहेंगे
यही सवाल
उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद क्यों

यहाँ
सब कुछ बिकता है
मूल्य
सम्बन्ध
अनुबंध
समर्थन 
अनुमोदन
शरीर 
तहरीर
सब कुछ
भूलिए मत
आप बाज़ार में हैं

किम# की
नीला सागर रणनीति
दर्शाती है
एक नई दुनिया
एक नया आकाश
एक नया सागर
लाल रंग से
नीला होता सागर
प्रतिस्पर्धा से परे
क्या हम सीख सकते हैं
इस कारपोरेट रणनीति
से कुछ सबक
अपने व्यक्तिगत
जीवन हेतु
वहां
जहाँ
सब कुछ बिकता हो
जहाँ
इसको लगा डाला तो लाइफ झिंगालाला
का गान हो

जहाँ
उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद क्यों
की प्रतिस्पर्धा हो

मैं सोचता हूँ 
आखिर कब तक 
चलता रहेगा 
बाजारू गान 
उसकी साडी मेरी साडी से सफ़ेद क्यों.

================
# W. Chan Kim and Renée Mauborgne wrote a book entitled ‘Blue Ocean Strategy’ in 2005 where they provide a strategy to combat competition (making competition irrelevant) by creating products and services which are exclusive in nature and where there is no competition.