Saturday, June 27, 2020

सामान

कितना सामान है
हम सब कितना सामान इकट्ठा कर लेते हैं
कई बार मुश्किल हो जाता है
उस सबको समेटना
उस सबको सहेजना भी
सब कुछ
यात्रा का पाथेय लगते हुए भी
लगने लगता है, बोझ.

सूटकेसों में नहीं सिमट पाता है
वह सब जो ऐल्बमों में रहता है
स्मृतियों में बसता है
एल्बम का एक-एक फ़ोटो
कितनी कहानियाँ कहता है

कितना कुछ सामान
प्रतीत होता है, सिमटता हुआ
परंतु वास्तविकता में
यह सब सामान इतना फैला हुआ होता है
कि हम जीवन भर समेटते रहते हैं
जीवन पर्यन्त इकट्ठा किया हुआ सब-कुछ
(सामान, स्मृतियाँ व अनुभव)

सूटकेस को दबा-दबा कर
भरने से सामानों के बीच लड़ाई होती है
और हम अपने दम्भ में रहते हैं
बिना इस बात को जाने
कि यह सब सामान
मात्र हमारी सहूलियत के लिए है।