Monday, June 14, 2010

नीरज के एक गीत का उत्तर...

उनको पीकर ही हुई चिंता हमारे देश की
उनके पीने का यही अंदाज़ कुछ कर जायेगा

उनको कानूनों को समझाने से क्या होगा बता
धर्म के सौदागरों को कौन समझा पायेगा

हर किसी को देश के हालात से वाकिफ ना कर
हर किसी का दिल जलेगा हर कोई शरमाएगा

देखकर मेहँदी लगी उन बालकों के हाथ पर
कौन जाने कौन उनको शहर तक ले आएगा

कालिजो के रंग क्या देखे नहीं हैं आपने
आपकी ही आपका बेटा खबर ले जायेगा

मैं नहीं कहता उन्हे पीकर नहीं रहता है होश
उनको तब होगी खबर जब सारा घर जल जायेगा

<विजय कुमार श्रोत्रिय>
(28 April 1990, Bareilly, UP)
(This poem was composed as a reply to one of the poem of Gopal Das Neeraj, which I heard through him personally in a gathering)
गीत जब मर जायेंगे, तो क्या यहाँ रह जायेगा,
इक सिसकता आंसुओं का कारवां रह जायेगा. (गोपाल दास नीरज)

4 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति...

    गीत जब मर जायेंगे, तो क्या यहाँ रह जायेगा,
    इक सिसकता आंसुओं का कारवां रह जायेगा

    वाह... नमन नीरज जी को

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  2. मैं नहीं कहता उन्हे पीकर नहीं रहता है होश
    उनको तब होगी खबर जब सारा घर जल जायेगा!
    वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!

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  3. वाह... नमन नीरज जी को

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  4. अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
    मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
    tareef ke liye VK Shrotryia ji....

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