मैं क्यों भूल जाता हूँ
तुम्हारे स्नेह की भाषा
प्यार की परिभाषा
आलिंगन का आशय
तुम्हारे शरीर का स्पर्श
स्पर्श का आकार, प्रकार
स्पर्श की ऊर्जा
तुम्हारे पैरों की आहट
आँखों का आमंत्रण
आँखों के स्वप्न
स्वप्नों की उडान
और
तुम्हारे कृत्यों की सीमा
मैं भूल जाता हूँ
क्यों?
...
मैं भूल जाता हूँ
और
फिर भी चाहता हूँ
तुमको स्मरण रहे
तुम ना भूलो
मेरा प्यार
मेरी परिभाषाएं
मेरा आलिंगन व उसका आशय
मेरा स्पर्श
मेरी आहट
मेरी उडान
मेरी सीमा
मुझको...
...
तुम
तुम हो
और
मैं
मैं
क्यों भूल जाता हूँ मैं....
(Shillong...L-57...2nd Nov 2010...9 AM)
तुम्हारे स्नेह की भाषा
प्यार की परिभाषा
आलिंगन का आशय
तुम्हारे शरीर का स्पर्श
स्पर्श का आकार, प्रकार
स्पर्श की ऊर्जा
तुम्हारे पैरों की आहट
आँखों का आमंत्रण
आँखों के स्वप्न
स्वप्नों की उडान
और
तुम्हारे कृत्यों की सीमा
मैं भूल जाता हूँ
क्यों?
...
मैं भूल जाता हूँ
और
फिर भी चाहता हूँ
तुमको स्मरण रहे
तुम ना भूलो
मेरा प्यार
मेरी परिभाषाएं
मेरा आलिंगन व उसका आशय
मेरा स्पर्श
मेरी आहट
मेरी उडान
मेरी सीमा
मुझको...
...
तुम
तुम हो
और
मैं
मैं
क्यों भूल जाता हूँ मैं....
(Shillong...L-57...2nd Nov 2010...9 AM)
अच्छी लगी यह कविता।
ReplyDeleteक्या बात है वाह...कमाल की रचना...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
बहुत भावपूर्ण रचना है...।
ReplyDeleteएक निवेदन है...आलिंघन शब्द में घ को ग कर लीजिए।
धन्यवाद महेंद्र जी.... घ को ग कर दिया है.... क्षमा.. कंप्यूटर की दुनिया मे अक्षरों को तलाशना कई बार मुश्किल हो जाता है....
ReplyDeleteविजय
अच्छी लगी यह कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर! बेहतरीन !
ReplyDeleteआपको दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
बार बार पढने का मन कर रहा है!
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