मेरी कविताएं
Saturday, February 4, 2012
मुझे जो बोलना सिखाती थी
आज चुप बैठ मुझको सुनती है
मेरी बेटी सुना रही है अब
मेरी माँ अब भी ख्वाब बुनती है
27 Jan 2012, Port Blair
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