Thursday, September 27, 2012

मैं इतना सोच सकता हूँ - 8


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मैं सूरज को बुलाता हूँ मुझे जब सांझ लगती है
मगर सब शुष्क मूल्यों सी धरा भी बाँझ लगती है
अजब मौसम गजब वर्षा अजब गर्मी गजब सर्दी
मैं इतना सोच सकता हूँ मुझे क्यों सांझ लगती है

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मुझे जंगल सुहाता है सभी को खग बताता है
मगर फिर भी पहन कपडे आदमी कह्कहता है
जनम से जानवर होकर मनन से जानवर होकर
मैं इतना सोच सकता हूँ क्यों हर पशु सर झुकाता है

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मैं सबसे प्रेम करता हूँ मुझे स्नेह भाता है
नहीं कोई मेरा दुश्मन सभी से अच्छा नाता है
सही हों पग सही हो पथ सही गन्तव्य सही जो जग
मैं इतना सोच सकता हूँ मुझे जीवन सुहाता है

18.7.12 Shillong
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i.    मैं इतना सोच सकता हूँ - 7  (38-43 CLICK HERE)

ii.   मैं इतना सोच सकता हूँ  - 6 (28-37 CLICK HERE)

iii.  मैं इतना सोच सकता हूँ  - 5 (25-27 CLICK HERE)

iv.  मैं इतना सोच सकता हूँ -      (24 CLICK HERE)

v.   मैं इतना सोच सकता हूँ -      (23 CLICK HERE)

vi.   मैं इतना सोच सकता हूँ -  4 (20-22 CLICK HERE)

vii.   मैं इतना सोच सकता हूँ -     (19 CLICK HERE)

viii.   मैं इतना सोच सकता हूँ -    (18 CLICK HERE)

ix.    मैं इतना सोच सकता हूँ -     (17 CLICK HERE)

x.     मैं इतना सोच सकता हूँ - 3 (12-16 CLICK HERE)

xi.    मैं इतना सोच सकता हूँ -  2 (7-11 CLICK HERE)

xii.   मैं इतना सोच सकता हूँ  - 1  (1-6 CLICK HERE)

Saturday, September 15, 2012

काला धन

रात को पाकर एकांत
सात वर्षीय बालक
कोने में ले गया
रुपयों से भरा थैला

साथ लेना
चाहता था वह
काला पत्थर - कोयला
आतुर हो
किए अथक असफल प्रयास
पर नहीं मिला उसे
एक टुकड़ा कोयले का
उसे याद आया
'कोयला तो अभी भी खदानों में ही है'

भागकर गया
निकाला काला रंग
अपने कलर बॉक्स से
और आ बैठा
उसी कोने में

रंग दिए
सारे नोट
काले रंग से

आज सुबह
उसने सुन लिया था
पिता को
फ़ोन पर
करते बातें ...

Poetic Punches

Red Light Was on
They Say
Power Had Gone

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Tempered Roads
They say
Path Tempered
Affirming
Path Breakers

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Delaying Delivery
Pain On The High
Save Saviors Save
Let It Not Die

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Seamless Consistency
Homologous Urgency

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Rain Drops
Droplets Brawl
Tendrils Call
Pain Drops

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High Are Stakes
Non-regrettable Mistakes
Cranky Takes

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Soulmates
Polity - Business - Mafia
Coalgates

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Electricity Failure
Irregular Water Supply
Powerful Grievances
Powerless Appliances
Can We Really Call It
Power Crisis

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Have You Seen Transformers
Not the ones which got Burst
But the ones Which are
Busy Transforming...


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Friday, September 7, 2012

शिक्षा का व्यापार

नाई की दुकान पर
बिक रहा था सामान
माध्यम था रेडियो
एक निजी प्रबन्ध संस्थान के
लुभावने व भ्रामक
विज्ञापन द्वारा
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में
छह अंकीय आय का
उदाहरण
प्रलोभन

आश्वासन

व्यापार की शिक्षा
या
शिक्षा का व्यापार

एक प्रश्न
कैसा होगा शिक्षा का स्वरुप
यदि शिक्षा होगी व्यापार

निवेश पर अधिक प्रत्याय
और अधिक प्रत्याय
लाभ
और अधिक लाभ

इन संस्थानों मे
शिक्षित होते छात्र-छात्राएं
उनकी जगह (सीट)  कहलाती है
माल, सामान या स्कन्ध
और
व्यापारी बेचते हैं
सामान
बाज़ार की भाषा में
बिकने वाला
सभी कुछ होता है
सामान या माल

बाज़ार में
दर्जी  की दुकान में
मोची की दुकान मे
परचून की दुकान मे
या फिर
विशालकाय 'माल' में
चलते-फिरते
बस में कार में
ट्रक में ट्रेन में
सब जगह
बाज़ार मे
नाई की दुकान मे
बिक रहा है सामान

यहाँ सरस्वती की
पूजा नहीं होती
यहाँ पूजे जाते हैं
लक्ष्मी व गणेश

कई संस्थानों का माल
नहीं रहा है बिक
उनके बड़े-बड़े
गोदामों में
सड़ रहा है
स्कन्ध
आजकल

अर्थशास्त्रीय सिद्धांतों का
पालन करते बाज़ार
मांग-पूर्ति का सिद्धांत
सीमांत उपयोगिता का सिद्धांत
प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों का नियम
बाजारू मूल्य
(मूल्यों का बाज़ार)

प्रतिस्पर्धा

मुझे ज्ञात है
जिस प्रकार
हलवाई की दुकान से
बिल्डिगों के व्यापार तक
तम्बाखू की खेती से
बीड़ियों व
पान मसाले के व्यापार तक
व्यापारी करते हैं निवेश
स्वयं या साझे में
उसी प्रकार
उतर आये हैं
वे
शिक्षा के व्यापार में
उनको बेचना है
सामान
कैसे भी
किसी को भी
येन केन प्रकारेण

छूट पर
एक के साथ एक मुफ्त
पच्चीस तीस चालीस
या पचास प्रतिशत
अधिक
उसी कीमत पर

बटोरे जाते हैं ग्राहक
कस्वे से
गाँव से
झूठे प्रलोभनों द्वारा

फिर भी
बहुतों के यहाँ
माल बेकार पड़ा है
सड  रहा है
खरीदारों की प्रतीक्षा में
मैं सोच सकता हूँ
व्यापारियों की पीड़ा
निवेश पर प्रत्याय की आशा
शायद इसीलिए
आज
बिक रहा है सामान
नाई की दुकान मे
बीड़ी पान की दुकान में

सुना है
आजकल
आयातित शिक्षा का बाज़ार
गर्म है
एक लोकल डिग्री के साथ
विदेशी डिग्री फ्री

एक प्रश्न
क्या कल यहाँ खुल जाएँगी
राईस मिलें
सुना है
इस बार धान की फसल अच्छी है

क्या कल यहाँ खुल जायेंगे
पांच सात नौ या ग्यारह
सितारा होटल
सुना है
आने वाले वर्षों मे
पर्यटन उद्योग का
बोलबाला होने वाला है
सरकारी सब्सिडी भी
बढने वाली  है

क्या यहाँ खुल जायेंगे
विशालकाय 'माल'
सुना है
फुटकर व्यापार में
विदेशी निवेश आने वाला है

क्या यहाँ खुल जायेंगे
बड़े-बड़े अस्पताल
सुना है
कीटनाशकों के निरंतर प्रयोग से
उत्पन्न होंगी
नई-नई बीमारियाँ

पैदा होंगे
नए-नए अवसर
और
इन सभी अवसरों को
परिणत किया जायेगा
पूँजी में

फ़िलहाल
नाई की दुकान में
बिक रहा है सामान

मुझे लगता है
शीघ्र ही
होंगी बंद
ये दुकाने
यदि नहीं बदलीं
आशाएं
आकांक्षाएं

परिभाषाएं।

(29.7.12 - लखनऊ - आज सुबह अपने छोटे  भाई के साथ नाई की दुकान गया, वहां FM Radio City पर एक प्रबंधन संस्थान  का विज्ञापन प्रसारित हो रहा था, उसको सुनकर इस कविता को लिखने की प्रेरणा मिली....27 जुलाई के हिंदुस्तान समाचार पत्र के लखनऊ संस्करण में एक खबर थी की इस शहर के 30 प्रबंध संस्थानों को इस वर्ष कोई छात्र नहीं मिला)

<29.7.12 in train Lucknow to Guwahati... 9 PM>

Sunday, September 2, 2012

पानी की कहानी

पानी की प्यास
पानी की आस
पानी की मांग
पानी का स्वांग
पानी की आवाज
पानी का आज
पानी का कल
पानी का बल

पानी की पूर्ति
पानी से स्फूर्ति

पानी की आशा
पानी की भाषा
पानी परिभाषा

पानी का रंग
पानी के प्रकार
पानी का माध्यम
पानी की सरकार

पानी के मालिक
मालिक का पानी
पानी की आंखें
आँखों का पानी
पानी के कागज़
कागज़ का पानी
पानी से बिजली
बिजली से पानी
पानी से पैसा
पैसे से पानी
पानी के रिश्ते
रिश्ते का पानी

पानी का बहाव
पानी का प्रभाव
पानी का भाव
पानी का दाव

पानी की मार
पानी का व्यापार

पानी का आना
पानी का जाना

पानी काला
काला पानी

आना है पानी
जाना है पानी
सीधी सच्ची
एक कहानी
पानी से जानी
पानी ने जानी
सीधी सच्ची
एक कहानी

(25 अगस्त 2012 - 6:30 प्रातः - शिलांग)
<नेहू प्रांगण में पिछले 6 दिनों से बिजली नहीं है, इसी कारण पानी की भी परेशानी है, कभी-कभी आता है, सीमित मात्र में,  उसका रंग अलग होता है, सभी निवासियों के चेहरे उदास हैं,  एक विडम्बना - कविता की प्रेरणा पानी के अभाव से उपजी>