Friday, August 20, 2010

पेड़ व समीकरण

पेड़,
जमीन पर उगता है पेड़
जमीन के अन्दर होती है उसकी जड़
और
जड़ पर निर्भर करता है
पेड़ का अस्तित्व.

पेड़,
पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होती हैं पत्तियां
                होते हैं फूल, फल और कांटे.

पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होते हैं सम्बन्ध
संबंधों से बनते हैं समीकरण
और समय पर, मौसम पर
                निर्भर करते हैं समीकरण.

पेड़ से आती है लकड़ी
और लकड़ी से बनती है कुर्सी
कुर्सी से बनते हैं सम्बन्ध

संबंधों से बनते हैं समीकरण
और समय पर, मौसम पर
                निर्भर करते हैं समीकरण.

पेड़ शांत रहता है
कभी बोलता है,
बडबडाता है,
दहाड़ता है.
पेड़ घूमता है,
नाचता है,
गाता है,
संगीत सजाता है.
पेड़ चलता है,
दौड़ता है,
समय के साथ -
जड़ के साथ - 
बिना किये कोई समझौता.

पेड़ पर रहते हैं,
कीडे, मकोडे व पक्षी.
पेड़ पर होते हैं,
आश्रित 
जीव - मनुष्य, जानवर, 
कीडे, मकोडे व पक्षी,
कुर्सी पर भी.

सम्बन्ध, समीकरण व संयोग,
समय, काल व परिस्थिति, 
पेड़ को जड़ से अलग करते हैं.
पेड़ शांत रहता है
सब कुछ सहता है.

समय, काल और परिस्थिति,
जड़, पेड़ और कुर्सी,
सम्बन्ध, समीकरण और संयोग,
अपना-अपना कहना कहते हैं,
सब कुछ सहते हैं,
पेड़, 
जड़ से अलग होकर भी.

(15 July, 2008, Shillong, 10:55 AM-12:20 Noon)

19 comments:

  1. good tribute to earth day sir

    AK Shirotriya

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  2. पेड़,
    जमीन पर उगता है पेड़
    जमीन के अन्दर होती है उसकी जड़
    और जड़ पर निर्भर करता है [lekin Aadmi par nirbhar karta hai]
    पेड़ का अस्तित्व.

    पेड़,
    पेड़ पर होती है शाखाएं
    शाखाओं पर होती हैं पत्तियां
    होते हैं फूल, फल और कांटे.

    Phir bhi,
    Kuchh nahin hota hai ped ka apna,
    shakh, pattiyan, phal, phool ya kante
    ped keval inhein dhota hai apne sar par,
    tab tak,
    jabtak aadmi ki najar
    dalon, pattiyon ya phir kanton tak nahin panhuchati,
    Koi nahin poochhta ped se,
    kitna dard hota hai jab kat diye jate hai dal,
    ya kacche phalon par barasate hai patthar.

    (SK Mishra)

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  3. Ped aur pattey ek saath hote hain
    tabhi woh zinda dil ped keh latey hain

    Par jab pattey gir jaatey hain,
    tab woh buddha ya nanga ped kehlata hai

    Aisa hi kuch zindgi ka ruh hai..

    Kuch pattey apne aap gir jaatey hain
    aur kuch patey hawan behtey samay khud ko panchi samjh ke ud jaatey hain
    hawa behne bandh ho jaaney par ,bad mein zameen pey tak ratey hain

    Yeh pad ki kahani hai

    Aur hum logon ka hum jubaan hai...

    Sab logon ko saath lekey chalna hai
    gumraahon ko raasta dikha na hai
    Par har achhey nischay ke saath ladna hai
    Aur hamesha kaamyaab hona hai
    Swarn Bhavishya ka nimb zaroor daalna hai....

    Biswajit Mohapatra

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  4. Vaah ... Vaah ..Vaah ..............Kiya baat hai bhaiya ....................
    wounderful.

    regards,
    Ritu

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  5. Kya baat Hai...

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  6. Excellent and very meaningful

    Regards

    Hemanshu

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  7. Nice one, anyways i am not a great fan of poems and i really liked this one.


    -Ankur

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  8. Tree does not remain a tree without roots. Once the relationship with roots is over, it becomes wood and life goes out of it. Wood is used for any purpose but would be unable to give oxyzen, leaves, fruits or fragrance. It is lifeless. Human beings are also like it.

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  9. अजय श्रोत्रियAugust 27, 2010 at 10:28 PM

    पेड जबतक है, जबतक उसकी जड़ें हैं उसमें जीवन हैं परंतु आज की कुर्सी जब लकड़ी बेजान होती है के समान है जो सत्ता के मौसम, समय व समीकरण के साथ बदलते हैं तदोपरांत उनपर कीड़े, मकोड़ों की तरह आश्रित होते हैं ! अच्छी तुलना हैं ......

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  10. अजय श्रोत्रियAugust 27, 2010 at 10:34 PM

    बेहतरीन कविता हैं.....
    धन्यवाद......विजय

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  11. Excellent - Fantastic. Keep on flowing your pen to manifest all such feelings, sentiments, emotions, belongingness, togetherness through poems.
    All best wishes from Debashis Ghosh, Jamalpur, Bihar

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  12. I like it really really very good
    Prakash

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  14. Roots hold the plant firmly in the soil. If the root of the plant is strong it can faces many difficulties in its life,and at last it becomes a strong tree. Man's life is also like a tree's life. If the base of the child is strong, after b...ecoming a man he get a great and good future in his life and he is capable to han...dle any situation in every moment.
    Its very nice and interested poem.

    Mohit shrotriya

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  15. वाह, सुन्दर रचना...सशक्त प्रस्तुति...बधाई.
    __________________
    'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)

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  16. बहुत सुंदर भाव युक्त कविता

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  17. बार बार पढने का मन कर रहा है, कमाल की रचना, बेहतरीन!

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