पेड़,
जमीन पर उगता है पेड़
जमीन के अन्दर होती है उसकी जड़
और
जड़ पर निर्भर करता है
पेड़ का अस्तित्व.
पेड़,
पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होती हैं पत्तियां
होते हैं फूल, फल और कांटे.
पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होते हैं सम्बन्ध
संबंधों से बनते हैं समीकरण
और समय पर, मौसम पर
निर्भर करते हैं समीकरण.
पेड़ से आती है लकड़ी
और लकड़ी से बनती है कुर्सी
कुर्सी से बनते हैं सम्बन्ध
जमीन पर उगता है पेड़
जमीन के अन्दर होती है उसकी जड़
और
जड़ पर निर्भर करता है
पेड़ का अस्तित्व.
पेड़,
पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होती हैं पत्तियां
होते हैं फूल, फल और कांटे.
पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होते हैं सम्बन्ध
संबंधों से बनते हैं समीकरण
और समय पर, मौसम पर
निर्भर करते हैं समीकरण.
पेड़ से आती है लकड़ी
और लकड़ी से बनती है कुर्सी
कुर्सी से बनते हैं सम्बन्ध
संबंधों से बनते हैं समीकरण
और समय पर, मौसम पर
निर्भर करते हैं समीकरण.
पेड़ शांत रहता है
कभी बोलता है,
बडबडाता है,
दहाड़ता है.
पेड़ घूमता है,
नाचता है,
गाता है,
संगीत सजाता है.
पेड़ चलता है,
दौड़ता है,
समय के साथ -
जड़ के साथ -
बिना किये कोई समझौता.
पेड़ पर रहते हैं,
कीडे, मकोडे व पक्षी.
पेड़ पर होते हैं,
आश्रित
जीव - मनुष्य, जानवर,
कीडे, मकोडे व पक्षी,
कुर्सी पर भी.
सम्बन्ध, समीकरण व संयोग,
समय, काल व परिस्थिति,
पेड़ को जड़ से अलग करते हैं.
पेड़ शांत रहता है
सब कुछ सहता है.
समय, काल और परिस्थिति,
जड़, पेड़ और कुर्सी,
सम्बन्ध, समीकरण और संयोग,
अपना-अपना कहना कहते हैं,
सब कुछ सहते हैं,
पेड़,
जड़ से अलग होकर भी.
(15 July, 2008, Shillong, 10:55 AM-12:20 Noon)
good tribute to earth day sir
ReplyDeleteAK Shirotriya
पेड़,
ReplyDeleteजमीन पर उगता है पेड़
जमीन के अन्दर होती है उसकी जड़
और जड़ पर निर्भर करता है [lekin Aadmi par nirbhar karta hai]
पेड़ का अस्तित्व.
पेड़,
पेड़ पर होती है शाखाएं
शाखाओं पर होती हैं पत्तियां
होते हैं फूल, फल और कांटे.
Phir bhi,
Kuchh nahin hota hai ped ka apna,
shakh, pattiyan, phal, phool ya kante
ped keval inhein dhota hai apne sar par,
tab tak,
jabtak aadmi ki najar
dalon, pattiyon ya phir kanton tak nahin panhuchati,
Koi nahin poochhta ped se,
kitna dard hota hai jab kat diye jate hai dal,
ya kacche phalon par barasate hai patthar.
(SK Mishra)
Ped aur pattey ek saath hote hain
ReplyDeletetabhi woh zinda dil ped keh latey hain
Par jab pattey gir jaatey hain,
tab woh buddha ya nanga ped kehlata hai
Aisa hi kuch zindgi ka ruh hai..
Kuch pattey apne aap gir jaatey hain
aur kuch patey hawan behtey samay khud ko panchi samjh ke ud jaatey hain
hawa behne bandh ho jaaney par ,bad mein zameen pey tak ratey hain
Yeh pad ki kahani hai
Aur hum logon ka hum jubaan hai...
Sab logon ko saath lekey chalna hai
gumraahon ko raasta dikha na hai
Par har achhey nischay ke saath ladna hai
Aur hamesha kaamyaab hona hai
Swarn Bhavishya ka nimb zaroor daalna hai....
Biswajit Mohapatra
Vaah ... Vaah ..Vaah ..............Kiya baat hai bhaiya ....................
ReplyDeletewounderful.
regards,
Ritu
Kya baat Hai...
ReplyDeleteExcellent and very meaningful
ReplyDeleteRegards
Hemanshu
Nice one, anyways i am not a great fan of poems and i really liked this one.
ReplyDelete-Ankur
Tree does not remain a tree without roots. Once the relationship with roots is over, it becomes wood and life goes out of it. Wood is used for any purpose but would be unable to give oxyzen, leaves, fruits or fragrance. It is lifeless. Human beings are also like it.
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteपेड जबतक है, जबतक उसकी जड़ें हैं उसमें जीवन हैं परंतु आज की कुर्सी जब लकड़ी बेजान होती है के समान है जो सत्ता के मौसम, समय व समीकरण के साथ बदलते हैं तदोपरांत उनपर कीड़े, मकोड़ों की तरह आश्रित होते हैं ! अच्छी तुलना हैं ......
ReplyDeleteबेहतरीन कविता हैं.....
ReplyDeleteधन्यवाद......विजय
Excellent - Fantastic. Keep on flowing your pen to manifest all such feelings, sentiments, emotions, belongingness, togetherness through poems.
ReplyDeleteAll best wishes from Debashis Ghosh, Jamalpur, Bihar
I like it really really very good
ReplyDeletePrakash
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteRoots hold the plant firmly in the soil. If the root of the plant is strong it can faces many difficulties in its life,and at last it becomes a strong tree. Man's life is also like a tree's life. If the base of the child is strong, after b...ecoming a man he get a great and good future in his life and he is capable to han...dle any situation in every moment.
ReplyDeleteIts very nice and interested poem.
Mohit shrotriya
वाह, सुन्दर रचना...सशक्त प्रस्तुति...बधाई.
ReplyDelete__________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
really really very good
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव युक्त कविता
ReplyDeleteबार बार पढने का मन कर रहा है, कमाल की रचना, बेहतरीन!
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