किसने देखा, किसका गाँव
धरती पर रखने दो पाँव
सब इतिहास, हुआ भूगोल
आंखें किसको रहीं टटोल
मेरा तेरा, तेरा मेरा
कैसा होगा नया सवेरा
उसकी भाषा, उसका दावं
धरती पर रखने दो पाँव
किसने देखा, किसका गाँव.
मेरा घर, मेरा संसार
आस पास सब है परिवार
तेरा भवन, भवन बेकार
आंखें ढूँढें पालनहार
कदम पड़ रहे, डावांडोल
आँखें किसको रहीं टटोल
सब इतिहास हुआ भूगोल.
जीवन का सब सार विचार
साथ ना जाये कुछ भी यार
धन, पद, शक्ति और सम्मान
नियमो का क्यों हो अपमान
बीन बजाये, कौन सपेरा
मेरा तेरा, तेरा मेरा
कैसा होगा नया सवेरा...
(7th Oct 2010/ Shillong - Meghalaya)
धरती पर रखने दो पाँव
सब इतिहास, हुआ भूगोल
आंखें किसको रहीं टटोल
मेरा तेरा, तेरा मेरा
कैसा होगा नया सवेरा
उसकी भाषा, उसका दावं
धरती पर रखने दो पाँव
किसने देखा, किसका गाँव.
मेरा घर, मेरा संसार
आस पास सब है परिवार
तेरा भवन, भवन बेकार
आंखें ढूँढें पालनहार
कदम पड़ रहे, डावांडोल
आँखें किसको रहीं टटोल
सब इतिहास हुआ भूगोल.
जीवन का सब सार विचार
साथ ना जाये कुछ भी यार
धन, पद, शक्ति और सम्मान
नियमो का क्यों हो अपमान
बीन बजाये, कौन सपेरा
मेरा तेरा, तेरा मेरा
कैसा होगा नया सवेरा...
(7th Oct 2010/ Shillong - Meghalaya)
जीवन का सब सार विचार
ReplyDeleteसाथ ना जाये कुछ भी यार
सच्चाई बयां करती आपकी ये रचना अनुपम है...ढेर सी बधाई स्वीकार करें.
नीरज
जीवन का सब सार विचार
ReplyDeleteसाथ ना जाये कुछ भी यार
बहुत सही कहा है आपने...पढ़कर अच्छी लगी...
उम्मीदें हैं और जिज्ञासा भी, फिर तो कुछ नया ही होगा, नया सवेरा के साथ.
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