Wednesday, September 29, 2010

अच्छा लगता है हवा मे उड़ना

अच्छा लगता है
हवा मे उड़ना
आसमान की ओर
भीड़ से दूर
वाहनो के शोर से दूर
बादलों से बात करना
टिमटिमाती धरती को निहारना

अच्छा लगता है
हवा मे उड़ना
आसमान की ओर
अनजानों के साथ
तारों को निहारना
और ऊंचाइयों को छूना

अच्छा लगता है
हवा मे उड़ना
यह जानते हुए भी
कि यह क्षणिक है
मैं यहाँ रह नहीं सकता
            अनजानों के साथ
मैं एक क्षण भूल जाता हूँ
मुझे उतरना है
फिर जाना है
अनजानों से दूर
अपनों के पास
धरती पर

मुझे अच्छा लगना चाहिए
धरती पर रहना
हवा मे उड़ने से ज्यादा
फिर भी
यह क्षणिक अनुभूति अच्छी है
जानता हूँ
यह क्षणिक है

प्रायः क्षणिक अनुभूतियों हेतु
हम युद्ध करते हैं,
       क्रुद्ध होते हैं
जानते हुए भी
जीवन क्षणिक सुख
          क्षणिक अनुभूतियों के हेतु
नहीं बिताया जा सकता है.

प्यार, स्नेह, सम्बन्ध,
समन्वय, सम्भाव, सम्पन्नता
सब धरती पर ही है
फिर भी
अच्छा लगता है
हवा मे उड़ना
आसमान की ओर
अपनों से दूर
क्यों?

(26 Sept 2010, On-board, GoAir - delhi-indore/8:10 pm)

13 comments:

  1. बहुत उम्दा भाव एवं संयोजन...बधाई.

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  2. प्रायः क्षणिक अनुभूतियों हेतु
    हम युद्ध करते हैं,
    क्रुद्ध होते हैं

    इन चंद शब्दों में असीम गहराई है, हम सबको ऊंचा उड़ना अच्छा लगता है लेकिन इस गहराई मे जानें से सब घबराते हैं।

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  3. कविता अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है।

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  4. प्रायः क्षणिक अनुभूतियों हेतु
    हम युद्ध करते हैं,
    क्रुद्ध होते हैं
    जानते हुए भी
    जीवन क्षणिक सुख
    क्षणिक अनुभूतियों के हेतु
    नहीं बिताया जा सकता है.
    आपने तो कमाल कर दिया..बहुत सुंदर

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  5. I read the echoes of Frost's poem Birches wherein a lad of around twelve climbs upto the height of a Birch tree which bends to place the lad back to the ground. The poet expresses his exhilaration while climbing up and an equally satisfying experience of coming down to earth. Have a look at the poem. Didn't someone say all great people think alike?
    Sushil Gupta

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  6. This comment has been removed by a blog administrator.

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  7. Dr Vishesh Gupta, MoradabadOctober 7, 2010 at 11:06 PM

    भाई डॉ श्रोत्रिय जी
    धन्यबाद एवं आभार.
    मेरी कविताओ से जुड़ा ब्लॉग पढ़ा, तमाम शुभकामनाये.
    सृजन जारी रखे.
    कृपया भेजते रहे. आभारी रहूँगा.
    ससम्मान

    Really shrotiya ji,excellent. Kamaal ka likha hai. Apke andar ek bahut sensitive kavi niwas karta hai. all d best. wish u best of luck.

    डॉ विशेष गुप्ता ,मुरादाबाद

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  8. Everyone want to fly in the air but it is not so easy. Flying bird in the sky everyone think
    that we can fly in air and touch the sky but this thought stricks in mind for short time.When a child learns to walk with help of his parents, he faces many difficulties how many times he drops stands, then he develops slowly and get success in his life. When the child of bird borns,it teaches its child how to fly,After some time it matures. A bird can walk on earth and fly freely in the sky with the help of his wings. It is a due to bird from the nature. Can a man do so of course not, He can do so with scientific inventions but in this he can not fly free.

    MOHIT SHROTRIYA

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  9. इंसान की शोहरत पतंग की तरह होती है, जो चाहे कितनी ही ऊंचाई तक जाए, लेकिन उसकी डोर जमीन पर ही रहती है....anonymous....

    Thanx everybody for appreciating...

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  10. बहत सुन्दर कविता ,बधाई.

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  11. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
    बहुत देर से पहुँच पाया.............माफी चाहता हूँ..

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  12. bahut achhi kavita likhi hai

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  13. मुझे अच्छा लगना चाहिए
    धरती पर रहना
    हवा मे उड़ने से ज्यादा
    फिर भी
    यह क्षणिक अबुभुति अच्छी है
    जानता हूँ
    यह क्षणिक है

    कौन नहीं चाहता हवा में उड़ना पर उड़ने के बाद धरा पर ही लौटना होगा
    बहुत अच्छी कविता....बधाई

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