हाथ की उँगलियाँ बताती
हैं
साथ रहना बहार करता है
इक हथेली है बाँध लेती
है
रक्त गिरकर दरार करता है
हाथ मुट्ठी है हस्त-रेखा
है
ज्ञान मिट्टी है पस्त देखा है
सोच सकता हूँ बस यही
अब मैं
हाथ ताली से वार करता है
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