Wednesday, April 23, 2014

रिश्ते - 3

3

रिश्ते
उड़ चले
घोसलों से
दूर 
बहुत दूर 
ऊंचाइयों को छूने 
मोबाइल टाबरों से बंधने
उड़ चले
रिश्ते

Tuesday, April 8, 2014

रिश्ते - 2

2

रिश्ते
घोसलों से उड़कर
जा बैठे हैं
उन
बिजली, टेलीफोन, केबिल, जनरेटर
के तारों पर
जो छोटे-बड़े खम्बों पर
अव्यवस्थित से
दिखाई पड़ रहे हैं

रिश्ते
इन तारों पर
कुछ देर बैठते हैं
टिकते नहीं
टिक सकते भी नहीं हैं
इन तारों पर
करंट का डर है
और
घोसलें
लगभग आश्वस्त हो गए हैं
रिश्ते
संभवतः नहीं लौटेंगे
घोसलों में

रिश्ते
उड़ रहे हैं
हवाई जहाजो में
धरती से दूर
घोसलों से दूर
और-और की अपेक्षा में

रिश्ते
दौड़ रहे हैं
ट्रेनों में
बसों में
सड़कों पर

रिश्ते
दूर आ चुके हैं
बहुत दूर
अपने घोसलों से
और घोसले
व्यस्त हो गए हैं
बनाने में
नए रिश्ते

Monday, April 7, 2014

रिश्ते - 1

1

रिश्ते
द्वीप समान
सहते हैं
न जाने कितने ही थपेड़े
नदियों के
फिर भी खड़े रहते हैं
अटूट, अद्रश्य, अडिग
कितनी ही आयें
सुनामी या कटरीना

यही है
इन रिश्तों की सुन्दरता
किसी भी विवशता से परे
निश्छल
फेसबुकिया रिश्तों से बहुत अलग
प्रवाह की चिंता किये बिना

आखिर 
जीवन एक रिश्ता ही तो है
मनुष्य 
व 
प्रकृति 
के मध्य