Tuesday, April 8, 2014

रिश्ते - 2

2

रिश्ते
घोसलों से उड़कर
जा बैठे हैं
उन
बिजली, टेलीफोन, केबिल, जनरेटर
के तारों पर
जो छोटे-बड़े खम्बों पर
अव्यवस्थित से
दिखाई पड़ रहे हैं

रिश्ते
इन तारों पर
कुछ देर बैठते हैं
टिकते नहीं
टिक सकते भी नहीं हैं
इन तारों पर
करंट का डर है
और
घोसलें
लगभग आश्वस्त हो गए हैं
रिश्ते
संभवतः नहीं लौटेंगे
घोसलों में

रिश्ते
उड़ रहे हैं
हवाई जहाजो में
धरती से दूर
घोसलों से दूर
और-और की अपेक्षा में

रिश्ते
दौड़ रहे हैं
ट्रेनों में
बसों में
सड़कों पर

रिश्ते
दूर आ चुके हैं
बहुत दूर
अपने घोसलों से
और घोसले
व्यस्त हो गए हैं
बनाने में
नए रिश्ते

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