मेरी कविताएं
Thursday, March 31, 2022
बाज़ार 2
आजकल शाम सुबह कल से काम होता है
कल से बाज़ार घर आता है दाम होता है
बहुत आराम है दिखता है हम बिक जाते हैं
एक दुकान सा जीवन तमाम होता है
1 comment:
विकास नैनवाल 'अंजान'
April 3, 2022 at 7:21 AM
सुंदर प्रासंगिक सृजन...
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