Values, Business and Ethics
Raju and Raja played the tricks
Who is wrong and who is right
who gets the cake and who pays the price
Shuffling papers, shifting chairs
beyond values, get to the pairs
Business profit, profit business
compromising values beyond pareto hiss
Where is the heart and where is the conscience
where is the mind and where is the sense
we can talk, and talk and talk and talk
can we walk the talk and then we walk and talk and walk and talk
Ethics, Business and Values
Gandhi, CKP as Subhash views
Transforming minds, valued leaders
family, culture and self...cheerleaders
Heaven looks bad and hell looks good
shrinking mindsets, go for the good
Values fade and ethics cry
business earns with all that pry
What can we do?
All my kudos to U B S
All my cheers to U B S
All my greetings to U Me and Us
All of us wish for them and pray
Follow ethics, have strong value system.... U Me and They...
(Evening Class Auditorium, Panjab Univ, Chandigarh, 22 Dec 2010, 5:30 PM)
Thursday, December 23, 2010
Tuesday, December 21, 2010
अक्सर अच्छा लगता है
अक्सर
अच्छा लगता है
विदेश मे होना
इस देश मे होना
भूटान मे होना.
यहाँ के लोग,
यहाँ की संस्कृति
यहाँ के सपने
यहाँ का तंत्र
व शासन व्यवस्था
इस सत्य की अनुभूति कराते हैं.
यह वास्तविकता मे
मेरा दूसरा घर है
भारत से वाहर
भारतीय होने पर गर्व
या
भारतीय होने की शर्म.
भारतीयों के प्रति इनकी
अवधारणा
शायद ठीक ही है.
भारत का महान स्वरुप
भारत की विविधता
भारत की राजनीति
भ्रष्टाचार मे लिप्त
तंत्र व
शासन व्यवस्था.
मुझे ये भारतीय मानते हैं
भारत की विविधता
भारत की राजनीति
भ्रष्टाचार मे लिप्त
तंत्र व
शासन व्यवस्था.
मुझे ये भारतीय मानते हैं
या अभारतीय
या भूटानी
पता नहीं
परन्तु इनकी सोच मे
इनकी अवधारणा मे
काफी सच्चाई है.
मेरी अवधारणा मे भी
भूटान
वो भूटान नहीं है
जो आज से दस वर्ष
पहले था
प्रजातांत्रिक तंत्र
ईमानदार शासन
साफ़ सुथरी सड़के
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
इस तम्बाखू रहित
बौद्ध देश में.
अक्सर
अच्छा लगता है
इस देश मे होना.....
इतने वर्षों
उपरांत...
Monday, December 20, 2010
अक्सर बुरा लगता है.
अक्सर
बुरा लगता है
विदेश मे होना
परदेश मे होना
इस देश मे होना
घटनाएं इस सत्य की अनुभूति कराती हैं
याद दिलाती हैं
परदेश मे होना
इस देश में होना
अक्सर
कभी-कभी
प्रायः
हम भी राष्ट्रीय हैं
गैर राष्ट्रीय नहीं
उस देश के
जिस देश की
बनाई सड़क पर
चल रहा हूँ मैं
जिस देश द्वारा
नीव डाले विद्यालय में
पड़ा रहा हूँ मैं
एक गैर राष्ट्र में
हमारा राष्ट्र
किसी गैर राष्ट्रीय को
गैर राष्ट्रीय नहीं कहता
इस गैर राष्ट्र की तरह
हम सब राष्ट्रीय हैं
फिर भी
बिना चैन सोना
विदेश मे होना
इस देश में होना
अक्सर
बुरा लगता है.
(Kanglung: Bhutan, 29th Nov 1994)
composed on the way from Yongfula to Kanglung, walking alone, at 2:30 PM while I sat on a viewpoint bench...
बुरा लगता है
विदेश मे होना
परदेश मे होना
इस देश मे होना
घटनाएं इस सत्य की अनुभूति कराती हैं
याद दिलाती हैं
परदेश मे होना
इस देश में होना
अक्सर
कभी-कभी
प्रायः
हम भी राष्ट्रीय हैं
गैर राष्ट्रीय नहीं
उस देश के
जिस देश की
बनाई सड़क पर
चल रहा हूँ मैं
जिस देश द्वारा
नीव डाले विद्यालय में
पड़ा रहा हूँ मैं
एक गैर राष्ट्र में
हमारा राष्ट्र
किसी गैर राष्ट्रीय को
गैर राष्ट्रीय नहीं कहता
इस गैर राष्ट्र की तरह
हम सब राष्ट्रीय हैं
फिर भी
बिना चैन सोना
विदेश मे होना
इस देश में होना
अक्सर
बुरा लगता है.
(Kanglung: Bhutan, 29th Nov 1994)
composed on the way from Yongfula to Kanglung, walking alone, at 2:30 PM while I sat on a viewpoint bench...
Friday, December 3, 2010
स्वार्थ
स्वार्थ
कठिन है
समझ पाना अर्थ
परिस्थिति, समय व व्यक्ति
पर निर्भर है
इसकी परिभाषा
इसका अर्थ
स्वयं के अर्थ हेतु किया गया कृत्य
स्वयं
प्रत्येक परिधि पर लागू है
व्यक्ति पर
क्षेत्र विशेष पर
समूह विशेष पर
देश विशेष पर
आदि, इत्त्यादि.
स्वार्थी
कोई व्यक्ति, क्षेत्र, समूह, या देश
अधिकतर
प्रयोग इस शब्द का होता है संकुचित
व्यक्ति विशेष के सन्दर्भ में
द्रष्टिकोण भिन्नता दर्शाता है
दर्शाता है
शब्द के भिन्न प्रयोग.
मानवता
क्या स्वयं की परिधि से परे है?
यदि नहीं
तो स्वार्थ प्रत्येक जगह है
किसी ना किसी रूप में
छावं में या धूप मे
स्वार्थी
प्रत्येक जगह हैं
हाथ में या पावं में
धूप मे या छावं में
प्रदेश मे या देश में
किसी ना किसी भेष में
देश में या परदेश में
मेल में या क्लेश में
गर्मी में, बरसात में
दिन में या रात में
बसंत में या जाडे में
मुफ्त में या भाडे में
घर में या वाहर
लेखक या शायर
साहसी या कायर
सच्चा या लायर
स्वार्थ
प्रत्येक जगह है
किसी ना किसी रूप में
छावं में या धूप में...
(Sherubtse College, Kanglung - Bhutan, Exam duty Room No B New building, 23rd Nov 1994, 10:40 AM)
कठिन है
समझ पाना अर्थ
परिस्थिति, समय व व्यक्ति
पर निर्भर है
इसकी परिभाषा
इसका अर्थ
स्वयं के अर्थ हेतु किया गया कृत्य
स्वयं
प्रत्येक परिधि पर लागू है
व्यक्ति पर
क्षेत्र विशेष पर
समूह विशेष पर
देश विशेष पर
आदि, इत्त्यादि.
स्वार्थी
कोई व्यक्ति, क्षेत्र, समूह, या देश
अधिकतर
प्रयोग इस शब्द का होता है संकुचित
व्यक्ति विशेष के सन्दर्भ में
द्रष्टिकोण भिन्नता दर्शाता है
दर्शाता है
शब्द के भिन्न प्रयोग.
मानवता
क्या स्वयं की परिधि से परे है?
यदि नहीं
तो स्वार्थ प्रत्येक जगह है
किसी ना किसी रूप में
छावं में या धूप मे
स्वार्थी
प्रत्येक जगह हैं
हाथ में या पावं में
धूप मे या छावं में
प्रदेश मे या देश में
किसी ना किसी भेष में
देश में या परदेश में
मेल में या क्लेश में
गर्मी में, बरसात में
दिन में या रात में
बसंत में या जाडे में
मुफ्त में या भाडे में
घर में या वाहर
लेखक या शायर
साहसी या कायर
सच्चा या लायर
स्वार्थ
प्रत्येक जगह है
किसी ना किसी रूप में
छावं में या धूप में...
(Sherubtse College, Kanglung - Bhutan, Exam duty Room No B New building, 23rd Nov 1994, 10:40 AM)
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