Friday, December 3, 2010

स्वार्थ

स्वार्थ
कठिन है
समझ पाना अर्थ
परिस्थिति, समय व व्यक्ति
पर निर्भर है
इसकी परिभाषा
इसका अर्थ

स्वयं के अर्थ हेतु किया गया कृत्य
स्वयं
प्रत्येक परिधि पर लागू है
व्यक्ति पर
क्षेत्र विशेष पर
समूह विशेष पर
देश विशेष पर
आदि,  इत्त्यादि.

स्वार्थी
कोई व्यक्ति, क्षेत्र, समूह, या देश
अधिकतर
प्रयोग इस शब्द का होता है संकुचित
व्यक्ति विशेष के सन्दर्भ में
द्रष्टिकोण भिन्नता दर्शाता है
दर्शाता है
शब्द के भिन्न प्रयोग.


मानवता 
क्या स्वयं की परिधि से परे है?
यदि नहीं
तो स्वार्थ प्रत्येक जगह है
किसी ना किसी रूप में
छावं में या धूप मे 
स्वार्थी 
प्रत्येक जगह हैं
हाथ में या पावं में
धूप मे या छावं में
प्रदेश मे या देश में
किसी ना किसी भेष में
देश में या परदेश में
मेल में या क्लेश में
गर्मी में, बरसात में
दिन में या रात में
बसंत में या जाडे में
मुफ्त में या भाडे में
घर में या वाहर
लेखक या शायर
साहसी या कायर
सच्चा या लायर

स्वार्थ
प्रत्येक जगह है
किसी ना किसी रूप में
छावं में या धूप में...

(Sherubtse College, Kanglung - Bhutan, Exam duty Room No B New building, 23rd Nov 1994, 10:40 AM)

4 comments:

  1. क्या माँ भी स्वार्थी है //
    मेरे ब्लॉग पर भी पधारे
    http://babanpandey.blogspot.com

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  2. बहुत अच्छी तरह से परिभाषित किया है स्वार्थ को। आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता।

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  3. धन्यवाद बबन जी...
    माँ हर व्यक्ति से परे है... उसकी तुलना किसी भी व्यक्ति से नहीं की जा सकती...

    धन्यवाद मनोज जी.... वहुत अच्छा कहा आपने....

    विजय

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