संबंधों का रूप खेल में
कर की शोभा सभी मेल में
उच्च शिखर ज्यों पहुँच गए हम
प्रबल, प्रखर प्रहार सहे हम
उत्तर, प्रश्न सभी संचित थे
एक जीत से ही वंचित थे
श्रम, श्रद्धा, क्षमता संभवतः
जोश, पराक्रम, विजय अंततः
उत्सव, स्वागत, चर्चा, हर्षा
पुरुस्कार व धन की वर्षा
संचित विजय भाव को रक्खो
स्नेह, नीति दाव को रक्खो
दायित्वों का वडा भार है
हार विजय का ही उपहार है...
:::विजय कुमार श्रोत्रिय::: शिलांग ::: 7 April 2011:::
(भारत की क्रिकेट विश्व कप मे जीत को समर्पित, 2 April 2011 को मुंबई के वानखेड़े मैदान पर भारत ने श्रीलंका को विश्व कप फ़ाइनल मे हराया)
बहुत सुन्दर, बधाई हो आपको विश्व कप जीतने की!
ReplyDeleteबहुत ही प्रवाहपूर्ण प्रांजल रचना।
ReplyDeleteSach mein, haar to vijay ka uphaar hai
ReplyDeleteIsee liye humse haara sansaar hai
क्रिकेट और जीत पर एक अच्छी कविता. जीत मुबारक हो.
ReplyDeleteअच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDeleteबहुत-बहुत...... सुंदर
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