मेरी कविताएं
Monday, June 25, 2012
विविधता
23
मुझे कंकड़ बताते हैं, विविधता माध्य होती है,
सभी रंगों मे सलग्न होकर, साध्य होती है,
विविध आदत, विविध मापक, विविध रोना, विविध बोना,
मैं इतना सोच सकता हूँ, बहुत आराध्य होती है।
1 comment:
दिगम्बर नासवा
June 25, 2012 at 4:07 PM
बहुत खूब ... लाजवाब ..
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बहुत खूब ... लाजवाब ..
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