मैं थकना चाहता हूँ नींद से, क्यों प्रातः होती है,
4 May 2012, Shillong
मेरी प्रतीक्षा हर दोपहर, प्रारम्भ होती है,
मेरे अपने, मेरे सपने, मेरा संचय, मेरा परिचय,
मैं इतना सोच सकता हूँ, नहीं क्यों रात होती है.
मेरे अपने, मेरे सपने, मेरा संचय, मेरा परिचय,
मैं इतना सोच सकता हूँ, नहीं क्यों रात होती है.
4 May 2012, Shillong
रात होगी ...एक नई सोच के साथ ...ये जिंदगी यूँ ही बीत जाएगी
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