मेरी कविताएं
Sunday, July 18, 2010
कितना करीब था वो
मुझे अब पता चला
दुश्मन के घर की छांव में
उसका था कद बड़ा
<विजय कुमार श्रोत्रिय>
25 July 1999...Kanglung...Bhutan
2 comments:
मनोज कुमार
July 18, 2010 at 10:11 PM
बेहतरीन। लाजवाब।
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संजय भास्कर
July 24, 2010 at 10:24 AM
बहुत सुन्दर रचना
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बेहतरीन। लाजवाब।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
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