न ये संताप होता है, न ये बलिदान होता है
यही जीवन, यही बंधन, यही अरमान होता है
मुझे तेरी, तुझे मेरी, जरूरत जान पड़ती है
मैं इतना सोच सकता हूँ, यही संज्ञान होता है।
यही जीवन, यही बंधन, यही अरमान होता है
मुझे तेरी, तुझे मेरी, जरूरत जान पड़ती है
मैं इतना सोच सकता हूँ, यही संज्ञान होता है।
5 May 2012, Shillong...
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सुधीर राणा द्वारा प्रेषित निम्नलिखित प्रतिक्रिया के उत्तर में -
ये एक विश्वास होता है, ये एक संताप होता है,
एक ऐसा ये बंधन है, जो सबसे ख़ास होता है,
कभी टूटा मैं बंधकर, कभी टूटा नहीं बंधकर,
मगर में सोच सकता हूँ, विवाह बलिदान होता है.
एक ऐसा ये बंधन है, जो सबसे ख़ास होता है,
कभी टूटा मैं बंधकर, कभी टूटा नहीं बंधकर,
मगर में सोच सकता हूँ, विवाह बलिदान होता है.
बहुत अच्छी रचना..बधाई.
ReplyDeleteनीरज
सुन्दर और भावपूर्ण
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