Tuesday, May 22, 2012

आवाज

१७.
मुझे जब दर्द होता है, नहीं आवाज आती है
मगर हर कष्ट की परिणति, उजाले मे समाती है,
मेरी पीड़ा, मेरा जीवन, तेरा जीवन, मेरी पीड़ा
मैं इतना सोच सकता हूँ, कहाँ आवाज आती है
9 Oct 11, shilling

2 comments:

  1. BAHUT KHOOB BHAI...ACHCHHA LIKHA HAI...BADHAI SWIIKAREN

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  2. बहुत खूब ... उनका सब कुछ अपने ऊपर ...

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