१७.
मुझे जब दर्द होता है, नहीं आवाज आती है
मगर हर कष्ट की परिणति, उजाले मे समाती है,
मेरी पीड़ा, मेरा जीवन, तेरा जीवन, मेरी पीड़ा
मैं इतना सोच सकता हूँ, कहाँ आवाज आती है
9 Oct 11, shilling
मगर हर कष्ट की परिणति, उजाले मे समाती है,
मेरी पीड़ा, मेरा जीवन, तेरा जीवन, मेरी पीड़ा
मैं इतना सोच सकता हूँ, कहाँ आवाज आती है
9 Oct 11, shilling
BAHUT KHOOB BHAI...ACHCHHA LIKHA HAI...BADHAI SWIIKAREN
ReplyDeleteबहुत खूब ... उनका सब कुछ अपने ऊपर ...
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