मैं क्यों माँ को सताता था, नहीं यह जान पाता हूँ,
मगर फिर भी अमित ममता, मैं उसके प्राण भाता हूँ,
परी बातें, बड़ी मातें, खरी-खोटी, भरी आंखें,
मैं इतना सोच सकता हूँ, नहीं कुछ भूल पाता हूँ।
मेरी माँ कष्ट सहती थी, स्वयं प्रमोद करता था,
वो फिर भी प्रेम करती थी, समर कर रोज़ मरता था,
सरल जीवन, सफल जीवन, सजग निष्ठा, सफल पूजा,
मैं इतना सोच सकता हूँ, मैं क्यों कर क्रोध करता था।
मैं कुछ ना भूल पाता हूँ, मुझे माँ याद आती है,
मेरे हर कृत्य को भूली, मुझे स्मृति सताती है,
तेरे सपने, मेरी आंखे, तेरी मेहनत, मेरी उन्नति,
मैं इतना सोच सकता हूँ, यही माँ, माँ कहाती है।
13 May 2012, Shillong, 9 PM
आज अन्तराष्ट्रीय माँ दिवस है... यह पंक्तियाँ मेरी माँ को समर्पित जिन्होनें अत्यंत कष्ट सहकर हम सबको, हमारे सुनहरे भविष्य हेतु, पड़ाया व बडाया ... माँ तुझे सलाम ... (these lines are dedicated to my mother who suffered a lot in bringing us up..... today is mother's day)
सुंदर....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।
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